HINDI-Von Thünen’s Model of Agricultural Land Use: Detailed Notes

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HINDI-Von Thünen’s Model of Agricultural Land Use: Detailed Notes

Johann Heinrich von Thünen, एक जर्मन अर्थशास्त्री और किसान थे। उन्होंने 1826 में अपनी किताब Der Isolierte Staat (The Isolated State) में यह मॉडल पेश किया था। यह मॉडल ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि उपयोग की योजना को आर्थिक सिद्धांतों के आधार पर समझाने की सबसे शुरुआती कोशिशों में से एक माना जाता है।

📌 मॉडल की उत्पत्ति: 1826 में, Johann Heinrich von Thünen ने अपनी किताब Der Isolierte Staat (The Isolated State) में कृषि भूमि उपयोग का एक सैद्धांतिक मॉडल (theoretical model) प्रस्तुत किया।

Von Thünen

 Von Thünen कौन थे?

  • Johann Heinrich von Thünen एक जर्मन अर्थशास्त्री और किसान थे, जिनपर Adam Smith का प्रभाव पड़ा था। उन्होंने जर्मनी के Mecklenburg क्षेत्र में लगभग 40 वर्षों तक खेती की और वहां से अपनी थ्योरी को समर्थन देने के लिए व्यावहारिक आंकड़े (practical data) जुटाए।

🔹 मॉडल का आधार (Basis of the Model):

  • यह मॉडल Mecklenburg क्षेत्र में की गई वास्तविक जीवन की देखी गई स्थितियों पर आधारित है। यह एक ऐसा इलाका है जहां low-fertility sod-podzolic soils पाई जाती हैं। Von Thünen ने अपनी खेती के अनुभव के आधार पर बताया कि केंद्रीय बाजार (central market) के चारों तरफ भूमि का उपयोग किस प्रकार और किस तर्क के साथ होता है।

🔹 मॉडल का उद्देश्य (Purpose of the Model):

  • Von Thünen यह समझाना चाहते थे कि विभिन्न प्रकार की कृषि बाजार शहर (market town) से अलग-अलग दूरी पर क्यों और कैसे की जाती है। उनका मॉडल इन चार बातों के बीच संबंध को स्पष्ट करता है:
  • भूमि लागत (Land cost)
  • फसल का चयन (Crop selection)

  • परिवहन खर्च (Transportation expenses)

  • लाभप्रदता (Profitability)

Von Thünen की मूल Assumptions

Johann Heinrich Von Thünen ने अपने कृषि भूमि उपयोग मॉडल को कुछ आदर्श परिस्थितियों पर आधारित किया ताकि यह समझाया जा सके कि खेती के तरीके बाजार से दूरी के अनुसार कैसे बदलते हैं।

यह मॉडल यह स्पष्ट करता है कि

” किसान शहर से अलग-अलग दूरी पर अलग-अलग चीज़ें क्यों उगाते हैं। “

 मुख्य उत्पादन मान्यताएँ

    1. उत्पादन की घनता दूरी के साथ घटती है जितना दूर खेत बाजार से होगा, कृषि उतनी ही कम इनपुट वाली होगी।  घनता का मतलब है प्रति क्षेत्रफल भूमि पर लगाए गए संसाधन (जैसे पैसा, श्रम, खाद)। बाजार के पास के खेतों में अधिक इनपुट का उपयोग करके मूल्यवान या जल्दी खराब होने वाली फसलें उगाई जाती हैं।

    2. भूमि उपयोग का प्रकार दूरी के अनुसार बदलता है अलग-अलग फसलें और खेती की विधियाँ इस बात पर निर्भर करती हैं कि भूमि बाजार से कितनी दूर है। जल्दी खराब होने वाली और मूल्यवान फसलें शहर के पास उगाई जाती हैं, जबकि दूर स्थित क्षेत्रों में पशुपालन या अनाज जैसी विस्तृत खेती की जाती है।

क्रम संख्यामान्यताविवरण
1Isolated State (Model Economy of Thünen)यह मॉडल एक अकेले बाज़ार नगर को मानता है, जिसके चारों तरफ कृषि क्षेत्र फैले हैं और कोई बाहरी व्यापार नहीं होता।
2Single Marketशहर ही अतिरिक्त कृषि उत्पादों का एकमात्र खरीदार होता है; कोई अन्य नगर शामिल नहीं होता।
3Exclusive Supplyकिसान केवल इसी शहर को अपनी उपज बेचते हैं और किसी अन्य बाजार में नहीं जाते।
4Uniform Environmentशहर के चारों तरफ की भूमि समतल है और वहाँ की मिट्टी व जलवायु समान है।
5Profit-Seeking Farmersकिसान अधिकतम लाभ कमाने का प्रयास करते हैं और बाजार की मांग के अनुसार अपनी फसलें बदलते हैं।
6Single Transport Modeपरिवहन के लिए केवल घोड़ा और गाड़ी का उपयोग किया जाता है (जैसा कि 1826 में होता था)।
7Transport Costs Increase with Distanceकिसान सभी परिवहन लागत खुद चुकाते हैं, और यह लागत दूरी के अनुसार बढ़ती है। सभी वस्तुएँ ताज़ा अवस्था में भेजी जाती हैं, इसलिए जल्दी खराब होने वाली चीज़ों का महत्व होता है।

Von Thünen agricultural classification geography

Von Thünen का सामान्य भूमि उपयोग मॉडल

अपनी मूल मान्यताओं के आधार पर, Johann Heinrich von Thünen ने कृषि भूमि उपयोग का एक मॉडल विकसित किया, जो एक केंद्रीय बाज़ार नगर के चारों ओर फैले छह संकेंद्रित क्षेत्रों (six concentric zones) से बना है। प्रत्येक क्षेत्र एक विशिष्ट प्रकार की कृषि गतिविधि को दर्शाता है, जिसे आर्थिक दक्षता (economic efficiency) के अनुसार स्थानिक रूप से व्यवस्थित किया गया है।

यह मॉडल यह विश्लेषण करने के लिए बनाया गया था कि उत्पादन से जुड़े निर्णय कैसे परिवहन लागत, बाजार मूल्य, और भूमि किराया जैसे कारकों से प्रभावित होते हैं। इसका उद्देश्य किसानों को लाभप्रदता के आधार पर भूमि के सर्वोत्तम उपयोग में मार्गदर्शन देना था।

📐 आर्थिक किराया सूत्र (Economic Rent Formula)

Von Thünen ने भूमि की प्रति इकाई के लिए आर्थिक किराया (R) निर्धारित करने हेतु निम्नलिखित सूत्र प्रस्तुत किया:

R = Y(p - c) - Yfm

🔍 जहाँ:

  • R = भूमि की प्रति इकाई किराया
  • Y = भूमि की प्रति इकाई उपज (Yield)
  • p = प्रति इकाई उपज का बाजार मूल्य
  • c = प्रति इकाई उपज का औसत उत्पादन लागत
  • f = प्रति इकाई उपज एवं प्रति दूरी की परिवहन दर (Freight rate)
  • m = बाजार से दूरी

यह सूत्र दर्शाता है कि जैसे-जैसे बाजार से दूरी बढ़ती है और परिवहन लागत बढ़ती है, वैसे-वैसे लाभप्रदता घटती है, जो केंद्रीय बाजार के आसपास भूमि उपयोग निर्णयों को प्रभावित करती है।

Von Thünen agriculture zones

Von Thünen के मॉडल में संकेंद्रित क्षेत्र 

Von Thünen ने एक केंद्रीय शहरी बाज़ार   जिसे अक्सर Central Business District या Downtown कहा जाता है  की कल्पना की, जिसके चारों ओर कृषि भूमि की रिंग्स होती हैं। प्रत्येक रिंग एक अलग प्रकार की कृषि को दर्शाती है, जिसे इस आधार पर चुना जाता है कि वह शहर से कितनी दूर है और परिवहन लागत के बाद कितना लाभ दे सकती है।

🌆 केंद्रीय शहर (Central City)

मॉडल का केंद्र। सभी कृषि उत्पाद यहीं बेचे जाते हैं। किसान उत्पादन लागत और परिवहन खर्च में संतुलन बनाकर अधिकतम लाभ कमाने वाली फसलें चुनते हैं।

🌿 Zone I:  बागवानी एवं दुग्ध उत्पादन ( Market Gardening & Dairy)

  • शहर के सबसे नज़दीक। ताज़ा दूध, सब्जियाँ और अन्य जल्दी खराब होने वाली वस्तुएँ उत्पादित की जाती हैं।
  • उर्वरता खाद डालकर बनाए रखी जाती है, अक्सर शहर के अपशिष्ट का उपयोग होता है।
  • यूरोप में इसे Truck Farming कहा जाता है।
  • जल्दी खराब होने वाली और परिवहन लागत वाली वस्तुओं को बाजार के पास ही उत्पादित करना पड़ता है।

🌲 वन उत्पाद क्षेत्र (Zone II: Forestry)

  •  लकड़ी और ईंधन का उत्पादन होता है, जो भारी और परिवहन में महंगे होते हैं।
  • कम भूमि उर्वरता के बावजूद, उच्च परिवहन लागत के कारण Forestry को उच्च स्थान किराया प्राप्त होता है।
  • 19वीं सदी में हीटिंग और निर्माण के लिए लकड़ी की भारी मांग थी।

🌾 Zone III: फ़सल उत्पादन (मुख्यतः राई) Crop Farming (Rye Dominant)

  • अनाज फसलें विशेष रूप से Rye उत्पादित की जाती हैं।
  • फसल चक्र , खाद का उपयोग नहीं किया जाता  — जिससे भूमि की उर्वरता धीरे-धीरे घटती है।
  • जैसे-जैसे दूरी बढ़ती है, खेती की घनता घटती है और उपज कम हो जाती है।
  • मध्यम परिवहन लागत की वजह से कम नाशवान वस्तुएँ उगाई जाती हैं।

🌱 Zone IV: फ़सल चक्र प्रणाली Crop Rotation System

सात वर्षीय फसल चक्र उपयोग होता है:

1 वर्ष Rye

1 वर्ष Barley

1 वर्ष Oats

3 वर्ष चरागाह

1 वर्ष fallow

उत्पादों में Rye, मक्खन, पनीर और जीवित पशु शामिल हैं। कम नाशवान होने के कारण ये वस्तुएँ शहर से दूर उत्पादित की जा सकती हैं।

🌾 Zone V:  त्रि-खेत प्रणाली   Three-Field System

पारंपरिक तीन-क्षेत्र फसल चक्र पद्धति अपनाई जाती है:

एक-तिहाई भूमि फसल (जैसे Rye या Barley) के लिए।

एक-तिहाई चरागाह।

एक-तिहाई fallow छोड़ी जाती है ताकि भूमि की उर्वरता पुनः प्राप्त हो सके।

यहाँ उत्पादित वस्तुएँ जैसे मक्खन, पनीर, और जीवित पशु कम नाशवान होती हैं और दूर तक पहुंच सकती हैं। बाजार से दूरी अधिक होने के कारण परिवहन लागत अधिक और भूमि किराया कम होता है।

🐄 Zone VI: पशुपालन Livestock Ranching

यह सबसे बाहरी क्षेत्र है, शहर से सबसे अधिक दूरी पर। यह पशुपालन पर केंद्रित होता है — जैसे गाय, भेड़ आदि। यहाँ उगाई गई Rye और अनाज मुख्यतः स्थानीय उपयोग के लिए होते हैं, बिक्री के लिए नहीं। मांस, पनीर और खाल जैसे उत्पाद बाजार भेजे जाते हैं, क्योंकि वे जल्दी खराब नहीं होते और लंबी दूरी तक पहुंच सकते हैं। इस क्षेत्र में भूमि किराया सबसे कम और खेती की घनता भी सबसे कम होती है।

Von Thünen agriculture rings

Von Thünen के भूमि उपयोग मॉडल की आलोचनाएँ

हालाँकि Von Thünen का मॉडल ग्रामीण भूमि उपयोग नियोजन को समझने के लिए एक मौलिक दृष्टिकोण प्रदान करता है, लेकिन कई विद्वानों और विशेषज्ञों ने इसकी कुछ प्रमुख सीमाओं की ओर ध्यान आकर्षित किया है:

1. पृथक राज्य की अवास्तविक मान्यता

यह मॉडल एक भौगोलिक रूप से पृथक राज्य की धारणा पर आधारित है, जिसमें एक केंद्रीय बाजार होता है और उसके चारों ओर समान भूमि होती है।

वास्तविकता में ऐसे हालात बहुत कम या लगभग नहीं पाए जाते — बाजार आपस में जुड़े होते हैं, भूमि की उर्वरता बदलती रहती है, और नदियाँ व पहाड़ जैसे भौगोलिक अवरोध संकेंद्रित पैटर्न को बाधित करते हैं। इस कारण, मॉडल द्वारा प्रस्तावित नियमित क्षेत्रीय रिंग्स वास्तविक परिदृश्य में देखना कठिन होता है।

2. लाभ अधिकतम करने की मान्यता

Von Thünen ने यह मान लिया कि किसान लाभ के लिए प्रेरित होते हैं और हमेशा अधिकतम आर्थिक किराया प्राप्त करने का प्रयास करेंगे। यह धारणा पूंजीवादी अर्थव्यवस्थाओं में सही हो सकती है, लेकिन सामंती युग में किसान अक्सर अधिशेष से ज़्यादा जीविकोपार्जन को प्राथमिकता देते थे।

जब बुनियादी आवश्यकताएँ — जैसे भोजन और सर्दियों के लिए प्रावधान — पूरी हो जाती थीं, तो उत्पादन लाभ की संभावना के बावजूद बंद हो जाता था। यह अवधारणा पारंपरिक समाजों में आर्थिक से इतर प्रेरणाओं को अनदेखा करती है।

3. सांस्कृतिक और सामाजिक तत्वों की अनदेखी

यह मॉडल केवल आर्थिक है और पारंपरिक ग्रामीण संस्कृति, सामाजिक मूल्य या प्रथागत भूमि उपयोग को ध्यान में नहीं रखता। कृषि समुदायों में निर्णय परंपरा, रीति-रिवाज, पारिवारिक संबंधों और गैर-व्यावसायिक लक्ष्यों से प्रभावित होते हैं। इन तत्वों को न शामिल कर पाने के कारण यह मॉडल ग्रामीण भूमि उपयोग व्यवहार की पूरी जटिलता को दर्शाने में असफल रहता है।

🔄 Modification of Von Thünen’s Model by Olof Jonasson (1925)

Olof Jonasson, a Swedish geographer, reinterpreted Von Thünen’s land use theory in 1925 to better reflect the real-world agricultural patterns of Europe and North America. His key contribution was to relate economic rent not only to market distance but also to transportation infrastructure and industrial centers.

🔹 Key Modifications

  • Industrial Centers as Focal Points Unlike Von Thünen’s isolated central market, Jonasson observed that agricultural zones were arranged around industrial hubs, which acted as both production and consumption centers.

  • Hay and Pasture Dominance In both Europe and North America, the most intensive agricultural activity—hay and pasture farming—was found closest to industrial centers, supporting urban livestock and dairy needs.

  • Concentric Land Use Patterns Surrounding these pasture zones, Jonasson noted concentric rings of:

    • Grain cultivation

    • Extensive pasturing

    • Forestry

  • Transportation Influence Jonasson emphasized the role of transport routes (railways, roads, rivers) in shaping land use, challenging Von Thünen’s assumption of uniform transport cost across space.

olof Model

 Valkenburg’s Adoption of Jonasson’s Model (1952)

In 1952, geographer Samuel van Valkenburg adopted Olof Jonasson’s modified version of Von Thünen’s model to analyze agricultural intensity across Europe. His work provided a practical application of theoretical land-use models on a continental scale.

🔹 Key Contributions

  • Agricultural Intensity Mapping Valkenburg created a map showing land productivity per acre across Europe, based on eight major crops:

    • Wheat, rye, barley, oats, corn, potatoes, sugar beet, and hay

  • Index-Based Yield Comparison

    • The average yield per acre for Europe was set as an index of 100

    • Each country’s specific yield was then compared against this benchmark

    • Countries like Netherlands and Belgium led in agricultural intensity, followed closely by Denmark, Switzerland, and England

  • Factors Behind High Productivity

    • Extensive use of fertilizers

    • Careful crop rotation

    • Strategic seed selection

  • Continental Application of Von Thünen’s Model Valkenburg’s findings showed that Von Thünen’s concentric land-use theory could be applied to major European agricultural markets, especially:

    • Northeast France

    • The Netherlands

    • Belgium

    • Southeast England

    • North Germany

    • Denmark

FAQ

Von Thünen’s model is a theoretical framework explaining how agricultural land is used around a central urban market. It organizes farming activities into concentric zones based on transport cost, perishability, and economic rent.

  • Zone I: Market Gardening & Dairy

  • Zone II: Forestry

  • Zone III: Intensive Grain Farming

  • Zone IV: Mixed Crop Rotation

  • Zone V: Three-Field System

  • Zone VI: Livestock Ranching

  • The model is based on an isolated state with one central market.

  • Uniform transport cost per distance unit.

  • Farmers aim to maximize profits.

  • Land is flat and equally fertile.

  • It assumes a simplified and unrealistic geography.

  • Ignores cultural and subsistence factors in traditional farming.

  • Assumes profit-driven behavior, which wasn't applicable during feudal times.

  • Fails to account for modern transport infrastructure and multiple markets.

  • Jonasson related economic rent to transportation and industrial centers, not just distance from a central city.

  • He observed actual land-use patterns across Europe and North America.

  • Agricultural zones were arranged around industrial hubs, with hay and pasture farming closest to them.

  • Valkenburg applied Jonasson’s approach to map agricultural intensity in Europe.

  • Used eight major crops to create a land productivity index.

  • Found that areas like Netherlands, Belgium, Denmark, and England had the highest intensity due to fertilizers, crop rotation, and seed selection.

  • His work validated Von Thünen’s theory at a continental scale.

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